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आजादी के साल हुए कई। पर क्या हमने पाया है कहीं दंगे तुम क्या समझते हो जिंदगी चिराग शिकवा क्या था क्या बन गया ज़िंदगी तुम कहाँ हो ज़िन्दगी मातृत्व से बढ़कर क्या! ज़िन्दगी से क्या लेना मुस्कान नफरत से क्या

Hindi कहीं मारपीट भ्रष्टाचारो के बीच देश क्या से क्या हो गया। Poems